The Basic Principles Of shiv chalisa lyricsl
The Basic Principles Of shiv chalisa lyricsl
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दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
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हनुमान चालीसा लिरिक्स
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन